घमंडी बरहसिंगा
किसी वन में एक बारहसिंगा रहता था | गर्मियों के दिन थे | बारहसिंगा को बहुत जोर से प्यास लगी थी | वह पानी पीने के लिए एक स्वच्छ जल वाले तलाब पर गया | पानी पीते समय नजर अपनी परछाई पर पड़ी वह सोचने लगा की मेरा सिंग कितना सुंदर हे ,मुझे तो इस वन का राजा होना चाहिए था | इतने में उसने अपनी भद्दी टांगो को देखा | टांग देखकर उसे बहुत दुख हुआ | उसने सोचा की ईश्वर कितना अन्याई हे
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अभी वह ऐसा सोची ही रहा था की उसे शिकारी कुत्ते भौंकने की आवाज सुनाई दी | बारहसिंग तीव्र गति से भगा | भागते - भागते एक मोड़ पर उसकी सिंग झाड़ी में फस गए | उसने इसे छुड़ाने की बहुत कोशिश की परंतु वह सफल न हो सका | इतने में कुत्ते निक्ट आ गए | अब वह सोचने लगा की आज मेरी मृत्यु इन सिंग के कारण ही होगी | मेरी भद्दी टांग ने मुझे बचाने का बहुत प्रयत्न किया | कुत्ते देखते ही उस पर झपट पड़े और फार कर खा गए |
शिक्षा :- घमंडी का सिर नीचा |