मिस्टर पॉजिटिव बनाम मिस्टर नेगेटिव सकारात्मक सोच की शक्ति
इंसान के दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है और ये दोनों उसके रोजमेरा की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो अपना-अपना काम करने के अच्छे तरीकों से जानता है। एम. सकारात्मक (Mr positive) इस बात का विशेषज्ञ है कि आप सफल क्यों और कैसे हो सकते हैं जबकि मि. नकारात्मक (Mr Negative) आपकी गलती को सुनिश्चित करता है।
जब आप अच्छे के बारे में सोचते हैं तो मेरा जीवन सकारात्मक और सक्रिय हो जाता है। सकारात्मक आपके सामने वो सारे अच्छे अनुभवों को धारण करता है, जिससे आप जुड़े हो, मसलन अच्छा परिवार, अच्छा खानापीना, अच्छी आर्थिक स्थिति आदि। इसके विपरीत जब आप मुस्कुराते हैं तो मेरा जीवन अच्छा क्यों नहीं होता है। सकारात्मक रूप से सक्रिय रूप से हो जाता है और आपके सारे बुरे अनुभव आपके सामने आने लगते हैं, मसलन मैं क्यों नहीं जीत पाता, मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है आदि…
अब ये आप पर निर्भर करता है कि किसको ज्यादा तवज्जो दी जाए। ध्यान रहे, जैसा कि हम जानते हैं, वह उतना ही मजबूत होगा और दूसरे पर हावी भी होगा। और दूसरे को नाकारा कर देगा और एक दिन आपके दिमाग पर कब्जा कर लेगा और फिर आप सिर्फ और सिर्फ उसकी ही बात सुनोगे। अब जैसे ही आपको लगने की रिश्ते में कुछ अनबन हो रही है तो अपने आप से कहें कि मुझे कितना प्यार करने वाले लोग मिले हैं जो मुझे चाहिए बस फिर सारा काम। सकारात्मक कर देगा और आपके संबंधों से जुड़े सभी अच्छे अनुभवों को आपके सामने रख देगा और कुछ देर में सब ठीक हो जाएगा।
मान लिजिये एग्जाम से 1 महीने पहले किसी भी मरीज के दिमाग पर मि. नकारात्मक प्रभुत्व हो जाए की वह पास नहीं हो पाएगा तो निश्चित ही असफल हो जाएगा लेकिन इसके विपरीत अगर वो सोचे की 1 महीने का मतलब 30 दिन का मतलब 720 घंटे है अगर उसमे से 360 घंटे भी विश्वास के साथ जाएंगे तो निश्चित ही पास हो जाएगा।
इसके पीछे एक वैज्ञानिक तर्क भी है। जब हम कुछ सकारात्मक सोच रखते हैं तो हमारे अन्दर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है जो आप सहित आस पास के वातावरण को भी शुद्ध कर देती है वही इसके विपरीत नकारात्मक सोच नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है . सकारात्मक ऊर्जा हमारे संकल्प अर्थात हमारे विश्वास, विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता को मजबूत करती है जिससे विचार क्रिया में परिणत होते हैं।
मनोविज्ञान के अनुसार हमारे व्यवहार और दृष्टिकोण को हमारी सोच और विचार सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। सकारात्मक सोच वाले मनुष्य का दृष्टिकोण कठिन के वक्त भी सकारात्मक होता है। ऐसे लोग समस्या पर चर्चा करने, हार मनाने या रोने के बजाय उसका हल ढूढ़ते हैं। यानी ऐसे लोग समाधान पर केंद्रित होते हैं वही नकारात्मक सोच वाले लोग किस्मत पर या दूसरे पर दोष देते हैं। ऐसे लोग समस्या पर केंद्रित होते हैं.